मेरी माँ मेरा आईना है , मैंने खुद को उसकी नजरों से देखा है । हाँ नहीं हूँ मैं तुझ जैसी खुबसूरत ऐ जिंदगी, पर उसकी नजरों नें मुझे सबसे खुबसूरत देखा है । मेरी माँ मेरा आईना है , मैनें खुद को उसकी नजरों से देखा है । तू लाख बुराईयां निकाल, या निकाल लाखों खामियां मुझमें । तेरे पास शब्द नहीं होगा, जब मेरी माँ मेरी खूबियाँ बताना शुरु करे। मेरे रूप पे , मेरे रंग पे , कपड़े पहनने के ढंग पे। मेरी चुड़ी पे ,मेरी बिंदी पे, मेरे बात करने के ढंग पे , तू क्या सवाल उठाती है । अरे तुझे क्या पता ; हर रोज घर से निकलने से पहले, मेरी माँ मुझे देख के मेरी नजर उतारती है । जिसकी जैसी नजर उसने वैसा देखा मुझे, लेकिन मेरी माँ ने मुझे दुनिया में सबसे खुबसूरत देखा है । मेरी माँ मेरा आईना है, मैंने खुद को मेरी माँ की नजरों से देखा है ।